राजशेखर
इस सप्ताह दो पेनी शेयरों में जिस तरह तेजी आई उससे हर कोई हैरत में है। केजीएन इंड्रस्ट्रीज (kgn industries) की सात साल बाद बीएसई में रिलिस्टिंग हुई। यह शेयर सौ रुपये पर खुला और पहुंच गया 55 हजार रुपये। हालांकि यह 15 हजार रुपये में बंद हुआ। अगले दिन सिल्प टेक्नोलॉजीज (SYLPH TECHNOLOGIES LTD.) के साथ भी यही हुआ। यह पेनी स्टाक रीलिस्ट होने के बाद अस्सी पैसे से चढ़कर आठ सौ रुपए पर पहुंच गया था। नियमों का फायदा उठाकर इसमें जबरदस्त मैनिपुलेशन किया गया। अगर यही हाल रहा तो कभी हमें एक लाख, दस लाख या करोड़ रुपये कीमत के शेयर भी देखने को मिल सकते हैं। इस हालात से निबटने के लिए सेबी को नियम बनाने ही होंगे। यह सही है इसका बाजार पर या निवेशकों पर शायद ही कोई असर पड़े। शायद ही कोई इन जैसे शेयरों में निवेश करने का जोखिम उठाए।
सुकुन रहा कि बीएसई ने इस पर कार्रवाई की। बीएसई ने घोषणा की है कि अगर इस तेजी में कंपनियों का हाथ पाया गया या फिर लगा कि निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है तो कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी और उन शेयरों के कारोबार को सस्पेंड भी किया जा सकता है।
बीएसई ने कहा कि कुछ कंपनियां फंडामेंटली और वित्तीय आधार पर भले ही सुधर गई हो लेकिन उनके कारोबार में इस तरह बड़ा बदलाव नहीं आया है कि शेयर के भाव इस मुकाम तक पहुंच जाएं । सचमुच यह भाव देखने के बाद तो यही लग रहा था कि रिलायंस, आईटीसी, एलएंडटी, टाटा समूह के शेयर भी इसके सामने बौने हो गए हैं। बीएसई ने भी निवेशकों को आगाह किया है कि इन कंपनियों की क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए, खासकर उस ग्रुप के शेयरों में जिनमें वह हैं । दोनों जेड ग्रुप में है। जेड ग्रुप के शेयरों की सचाई से हर कोई वाकिफ होगा। इन शेयरों को खरीदना और बेचना कितना मुश्किल काम है। ज्यादातर ब्रोकर तो इन ग्रुप के शेयरों का कारोबार करने से साफ मना कर देते हैं।
घपले के इस नए युग की शुरुआत बुधवार को हुई। केजीएन इंडस्ट्रीज के शेयरों का भाव रीलिस्टिंग के पहले ही दिन एक सौ रुपए से 55 हजार रुपए तक पहुंचा। अगले दिन सट्टेबाजों ने भारतीय शेयर बाजार की व्यवस्था को मजाक बना दिया।
गुरुवार को एक और पेनी स्टाक सिल्प टेक्नोलॉजीस के शेयर रीलिस्ट होने के पहले ही दिन करीब एक लाख फीसदी बढ़ गया। अस्सी पैसे शेयर आठ सौ रुपए पर पहुंच गया जबकि बीएसई में इसका कारोबार कुल 6,500 शेयरों का ही था।
सिल्प और केजीएन, दोनों ही शेयरों में फिल्टर नहीं लगाया गया था क्योकि नियमों के मुताबिक रीलिस्टिंग के पहले दिन प्राइस डिस्कवरी की गरज से कोई फिल्टर नहीं लगाया जाता। सिल्प टेक्नोलॉजीज के निदेशक आरके जैन ने इंदौर में पत्रकारों को बताया कि कुछ कारोबारियों में इस शेयर की कीमतों में कोई गड़बड़ी जरूर की है।
उनके मुताबिक हमारी एक छोटी सी कंपनी है जो सॉफ्टवेयर की डिजाइनिंग के कारोबार में लगी है, इसका टर्नओवर एक करोड रुपए है और लाभ कुल दो लाख रुपए सालाना का है। पिछले चार सालों में कंपनी के फंडामेंटल्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे इस शेयर में इतनी मांग आ जाए। उन्होने इसकी जानकारी सेबी और बीएसई को दे दी है। सिल्प टेक्नोलॉजीज को साल 2003 में शेयर बाजार में लिस्टिंग के मानक पूरे नहीं करने की वजह से बीएसई से सस्पेंड कर दिया गया था।
दो दिन में ही हुए इन दो मामलों के बाद अब जरूरी हो गया है कि पेनी स्टाक की रिलिस्टिंग के पहले दिन फिल्टर लगाने पर सेबी को जरूर सोचना चाहिए। हालांकि सेबी ने साल भर पहले कुछ आईपीओ में लिस्टिंग के पहले ही दिन कीमतों में आए भारी उछाल को देखते हुए लिस्टिंग के पहले दिन 20 फीसदी का फिल्टर लगाने का प्रस्ताव रखा था। आईपीओ में लिस्टिंग में फिल्टर से ज्यादा मायने नहीं रखता, इसमें ज्यादा बदलाव संभव नहीं है, जरूरी है पेनी स्टाक की रिलिस्टिंग के लिए नियम बनाए जाएं।
यह लेख यहां भी देखें
शेयर बाजारः सेबी को सख्त होना ही पड़ेगा
http://thatshindi.oneindia
Saturday, May 24, 2008
तो लाख और करोड़ रुपये के शेयर भी देखने को मिल सकते हैं
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