Saturday, January 17, 2009

दहशत में शेयर बाजार

राजशेखर/इंद्रजीत
शेयर बाजार में इन दिनों अजीब तरह की दहशत है। इस तरह की दहशत से भारतीय स्टॉक बाजर को शायद ही कभी सामना करना पड़ा हो। खरीदनेवाले असमंजस के साथ दहशत में है। कहीं बाजार में तेजी आ गई तो पानी के भाव मिल रहे तमाम शेयरों की खरीद कर मुनाफा कमाने का मौका हाथ से न निकल जाए। शार्ट सेलिंग करनेवाले भी कम दहशत में नहीं हैं। उन्हें डर है कि कहीं बाजार ने लंबा गोता खाया तो पैसा बनाने का मौका हाथ से न निकल जाए। इसकी वजह है बाजार में कोई तय नहीं कर पा रहा है कि बाजार का रुख क्या होगा। बाजार को गिराने के लिए तमाम इंतजाम मौजूद है। दूसरी ओर बाजार में तेजी के लिए भी पूरी व्यवस्था मौजूद है।
जो बाजार को गिरता हुआ देख रहे हैं,उनके पास ठोस तर्क है कि इस तिमाही में कंपनियों के आनेवाले रिजल्ट निराशाजनक रहेंगे। सत्यम घोटाले और विप्रो समेत कई कंपनियों पर वर्ल्ड बैंक ने जो पाबंदी लगाई है, इससे बाजार का सेंटिमेंट खराब हुआ है। फिर मंदी का दौर। आईटी, टेक्सटाइल समेत कई सेक्टरों का बुरा हाल है। रियल्टी सेक्टर अपने सबसे बुरे दिन में हैं। कई कंपनियां तो खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। बाजार को बदहाली की ओर जाता हुआ देखनेवाले कहते हैं, इन सब घटनाक्रमों का बाजार पर जबरदस्त निगेटिव प्रभाव पड़ेगा और बाजार एक और नीचले स्तर की ओर कूच करेगा। ठीक इसके उल्ट बाजार का एक तबका मानता है कि शेयर बाजार इस बुरे हाल को पहले ही डिस्कांउट कर चुका है। जितनी गिरावट आनी चाहिए थी, उससे कहीं ज्यादा गिरावट आ चुकी हैं। तमाम ब्लू चिप कंपनियों के शेयर काफी कम भाव में मिल रहे हैं। फिर मंहगाई की घटती दर, कच्चे तेल की घटती कीमत और सरकारों की तरफ जारी हो रहे पैकेज बाजार में जान फूंकने के लिए काफी है। यह नहीं तमाम बड़े फंड हजारों करोड़ निवेश करने की तैयारी में हैं। जाहिर है यह तर्क बताता है कि बाजार में मजबूती के लिए तमाम इंतजाम मौजूद हैं। इसी भंवर में बाजार फंस कर रह गया है। यही वजह है कि इन दिनों बड़े शेयरों में जबरदस्त उतार -चढ़ाव देखने को मिल रहे है। पिछले काफी दिनों से उतार चढ़ाव हो रहे थे, लेकिन पिछले दिनों इसमें और तेजी आ गई। बुधवार को बाजार मे तेजी के बावजूद एनटीपीसी, डीएलएफ, रिलायंस कम्युनिकेशन समेत कई स्टाक जबरदस्त दबाव में नजर आ रहे थे। इनमें बिकवाली शुरू हो गई । स्टाक नीचे चले गए। लेकिन बाजार में दहशत इस कदर है कि जब स्टाक की कवरिंग शुरू की गई तो देखा गया कि बाजार खरीदारी पर टूट पड़ा, जिसका नतीजा यह हुआ को जो स्टाक पांच -छह फीसदी नीचे चल रहे थे। वे दस फीसदी ऊपर चले गए। बृहस्पतिवार को बाजार में गिरावट के बावजूद जी इंटेनमेंट समेत जो स्टॉक मजबूत दिख रहे थे तो वे शुक्रवार को बाजार में तेजी के बावजूद दबाव में दिखने लगें। यह रोज का हाल है। इस तरह की उठा-पटक इससे पहले कभी देखने को नहीं मिली थी। यह जरूर है कि इसमें बाजर के माहिर और जोखिम से खेलनेवाले शेयर ट्रेडरों को मुनाफा कमाने का अच्छा मौका मिल गया है।
बाजार में इस तरह की उठापटक की एकमात्र वजह है बाजार में दहशत। कोई भी इस बाजार की दिशा को लेकर आश्वस्त नहीं है। सत्यम घोटाले से एक दिन पहले जिस तरह खरीदारी हो रही थी उससे लग रहा था बाजार में कम से कम एक हजार अंकों की और तेजी आएगी। सत्यम घोटाले की खबर के बाद अचानक सेंटिमेंट बदल गया, बाजार में गिरावट आई लेकिन बाजार को जल्द ही समर्थन दिखने लगा। बाजार फिर दिशाहीन दिखने लगा है। एक ड्रेडिंग डे में 200 अंकों तक की गिरावट और तेजी देखने को मिल रही है। इस हालात में एक आम निवेशक बाजार लंबी अवधि के लिए ही निवेश करे। किसी स्टाक में गिरावट और तेजी के चक्कर में न पड़े। हालात यह है कि जो आज तेजी का रुख दिखा रहा है वह अगले दिन ही धराशाई हो जा रहा है। इसकी उल्ट हालात भी मौजूद है। जो स्टाक नीचे की ओर जाते हुए दिखते हैं, अगले दिन ही मामला पलट जा रहा है। बेहतर यही है कि इस अस्थिर बाजार में निवेश का नजरिया व्यापक रखें। कम से कम छह महीने के लिए ही निवेश करें।

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