Saturday, July 16, 2016
यहां है बाजार को मात देने का माद्दा
Thursday, September 8, 2011
आइनॉक्स लीज़र ने पूरा किया टारगेट
राजशेखर
16 अगस्त को हमने कहा था कि आइनॉक्स लीज़र दो माह में 10-20 फीसदी रिटर्न देगा। तब यह 43 रुपए पर था। कल एक महीना बीतने से पहले ही यह ऊपर में 49.50 रुपए तक जाने के बाद 48.30 रुपए पर बंद हुआ है। बंद भाव पर रिटर्न बनता है 12.33 फीसदी। लक्ष्य आधे से ज्यादा पूरा। आज यह 51.00 रुपये तक पहुंचा। हम इस तरह के फटाफट पक्का फायदा कराने वाले निवेश पर अलग से अपनी प्रीमियम सेवा शुरू करने की सोच रहे हैं। जब उसका फॉर्मैट बन जाएगा, आपको बताएंगे।
एक रुपए अंकित मूल्य का शेयर। ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 1.04 रुपए। शेयर चल रहा है 73.35 रुपए पर, यानी 70.53 के पी/ई अनुपात पर। जी हां, आज हम चर्चा करेंगे असाही इंडिया ग्लास की।
फिलहाल, असाही इंडिया ग्लास। इसका शेयर कल बीएसई (कोड – 515030) में 2.52 फीसदी गिरकर 73.35 रुपए और एनएसई (कोड – ASAHIINDIA) में 2.45 फीसदी गिरकर 73.75 रुपए पर बंद हुआ है। ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में असाही इंडिया ग्लास की बड़ी तारीफ की है। बताया है कि कंपनी देश में ऑटोमोटिव ग्लास व फ्लोट ग्लास की दिग्गज है। बिक्री का 52 फीसदी ऑटोमोटिव ग्लास और 45 फीसदी फ्लोट ग्लास से आता है। देश में लैमिनेटेड विंडशीट जैसे ऑटोमोटिव ग्लास की सबसे बड़ी सप्लायर है। इस बाजार का 77 फीसदी हिस्सा उसके कब्जे में है। तकरीबन सभी ऑटो कंपनियों की वह ओईएम (ओरिजनल इक्विटपमेंट मैन्यूफैक्चरर) है। 70 फीसदी धंधा ओईएम से आता है। बाकी ऑफ्टर-मार्केट से, जहां उसे ज्यादा मार्जिन मिलता है।
देश के फ्लोट ग्लास बाजार में उसकी 26 फीसदी हिस्सेदारी है। मुख्यतः कंस्ट्रक्शन उद्योग को यह अपना माल बेचती है। वाहनों के मामले में यह किसी समय एक संयंत्र और एक क्लाएंट वाली कंपनी थी। अब इसके चार संयंत्र हैं और तीन असेम्बली इकाइयां हैं। पिछले दस सालों में कंपनी की बिक्री 22 फीसदी और परिचालन लाभ 21 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। हालांकि ब्याज के खर्च के कारण 2006-11 के दौरान उसका शुद्ध लाभ महज दो फीसदी की दर से बढ़ा है। इस दौरान उसने रुड़की में फ्लोट ग्लास का बड़ा संयंत्र लगाने के साथ क्षमता विस्तार पर काफी खर्च किया जिससे उस पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। फिर वैश्विक मंदी आ गई तो धंधा भी घट गया और मार्जिन भी।
लेकिन बीते वित्त वर्ष 2010-11 से सब कुछ पलट गया है। कंपनी की किस्मत पलट गई। उसने 1518.21 करोड़ रुपए की बिक्री पर 15.15 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। इसके बाद चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून तक की पहली तिमाही में उसकी 19.13 फीसदी बढ़कर 388.80 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 96.84 फीसदी बढ़कर 3.11 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी ऑटोमोटिव ग्लास डिवीजन की क्षमता बढ़ाने पर 130 करोड़ रुपए का नया निवेश करनेवाली है। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज ने इतनी सारी खूबियां गिनाने के बाद बताया है कि असाही इंडिया ग्लास का स्टॉक पिछले तीन महीनों में 23 फीसदी गिर चुका है। उसने खुलकर इसमें निवेश की सलाह तो नहीं दी है। लेकिन इतना जरूर अनुमान लगाया है कि 2011-12 के अंत में कंपनी का ईपीएस 2.5 रुपए और 2012-13 में 4 रुपए हो जाएगा। इन अनुमानों के आधार पर असाही इंडिया ग्लास का शेयर दो साल बाद के ईपीएस से 18.34, एक साल बाद के ईपीएस से 29.34 और अभी तक के टीटीएम ईपीएस (1.04 रुपए) से 70.53 गुने भाव या पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
यह शेयर पिछले 52 हफ्ते के दौरान पिछले साल 9 नवंबर 2010 को 123.70 रुपए का शिखर पकड़ चुका है, जबकि पिछले महीने 22 अगस्त 2011 को उसने 64.20 रुपए पर बॉटम छुआ था। एचडीएफसी सिक्यूरिटीज टर्म-एराउंड मामला बताकर इसमें परोक्ष रूप से निवेश की सलाह दे रही है। लेकिन हमारा मानना है कि इतने महंगे शेयर में हाथ लगाना भयंकर जोखिम से भरा है। सस्ता होता तो एक बार इंसान सोच भी सकता था।
सबसे ज्यादा परेशानी की बात यह है कि कंपनी पर कर्ज का भयंकर बोझ है। मार्च 2011 तक उस पर कुल 1553.13 करोड़ रुपए का कर्ज था। कंपनी की इक्विटी 15.99 करोड़ और रिजर्व 202.37 करोड़ रुपए है। इस तरह उसकी नेटवर्थ बनती है 218.36 करोड़ रुपए है। कर्ज को नेटवर्थ के भाग देने पर साफ होता है कि कंपनी का मौजूदा ऋण-इक्विटी अनुपात 7.11 का है।
इतने ज्यादा ऋण-इक्विटी अनुपात वाली कंपनी से आम निवेशकों को दूर ही रहना चाहिए। एक बात और। अगर जून 2011 की तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 96.84 फीसदी बढ़कर 3.11 करोड़ रुपए हुआ है तो इसमें 2.91 करोड़ अन्य आय से आए हैं। बाकी आप समझदार हैं और कितना जोखिम लेना है, इसकी परख भी आपको है। नहीं है तो होनी चाहिए। आखिर आप सब्जी मंडी से भिंडी खरीदने नहीं, शेयर बाजार में निवेश करने निकले हैं!!!
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आइनॉक्स: दो माह में 10-20% देगा
आइनॉक्स के मल्टीप्लेक्सों का नाम तो आपने सुना ही होगा। जाकर सिनेमा भी देखा होगा। इसे संचालित करनेवाली कंपनी का नाम है – आइनॉक्स लीज़र। बीते हफ्ते गुरुवार, 11 अगस्त को इसने चालू वित्त वर्ष 2011-12 पहली तिमाही के घटिया नतीजे घोषित किए हैं। फिर भी इसमें निवेश करने में फायदा है। शुक्रवार को इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 532706) में 11.5 फीसदी गिरकर 43 रुपए और एनएसई (कोड – INOXLEISUR) में 0.92 फीसदी गिरकर 43.05 रुपए पर बंद हुआ है। कंसोलिडेटेड नतीजों के आधार पर इसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 74 पैसे है और इसका शेयर 58.18 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। वहीं स्टैंड-एलोन नतीजों के आधार पर इसका ईपीएस 1.06 रुपए है और यह 40.57 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। जाहिर है कि आइनॉक्स को बाजार कुछ ज्यादा ही भाव दे रहा है। यह काफी महंगा है। वैसे इसने इसी महीने 8 अगस्त 2011 को 38.05 रुपए का न्यूनतम स्तर हासिल किया है, जबकि 52 हफ्ते का उच्चतम भाव 80.25 रुपए का स्तर इसने साल भर पहले 23 अगस्त 2010 को हासिल किया था। हमारा मानना है कि इसमें मौजूदा स्तर पर निवेश करने से दो महीने में 10 से 20 फीसदी मुनाफा कमाया जा सकता है। 47 से 52 रुपए तक की रेंज है इसकी। दो महीने में जब भी यह स्तर हासिल हो जाए, बेचकर निकल लें। इससे ज्यादा का लालच न करें। जून 2011 की तिमाही में आइनॉक्स लीज़र की बिक्री 99.50 करोड़ रुपए रही है जो जून 2010 की तिमाही की बिक्री 79.91 करोड़ रुपए से 24.52 फीसदी ज्यादा है। लेकिन इस दरम्यान उसका शुद्ध लाभ 3.52 करोड़ रुपए से 11.93 फीसदी घटकर 3.10 करोड़ रुपए पर आ गया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 334.61 करोड़ रुपए की बिक्री पर 6.96 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। कंपनी के पास 256.24 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। उसकी मौजूदा प्रति शेयर बुक वैल्यू 51.40 रुपए है। इसलिए लांग टर्म के निवेशक भी इसमें धन लगा सकते हैं। लेकिन उस सूरत में कितना रिटर्न मिल सकता है, इसकी कोई गारंटी मैं नहीं दे सकता। उसमें पूरा जोखिम आपका होगा। उठाना चाहें तो उठाएं और न उठाना चाहें तो आपकी मर्जी। इस समय आइनॉक्स के पास देश के 26 शहरों में 40 मल्टीप्लेक्स और 151 स्क्रीन हैं। कंपनी जोधपुर, अहमदाबाद, भोपाल, मैंगलोर, कोयम्बटूर, कानपुर, हुबली, भुवनेश्वर जैसे शहरों में विस्तार में लगी है। उसने पांच साल पहले 89 सिनेमाज नाम से पश्चिम बंगाल व असम में मल्टीप्लेक्स चलानेवाली कंपनी कलकत्ता सिने प्रा. लिमिटेड (सीसीपीएल) का अधिग्रहण कर लिया था जिससे सीधे-सीधे इन राज्यों में उसे 9 अतिरिक्त मल्टीप्लेक्स मिल गए थे। आइनॉक्स को गोवा में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए मल्टीप्लेक्स बनाने का अनुबंध भी मिला हुआ है। आपने शायद गौर नहीं किया होगा कि आइनॉक्स लीज़र खुद गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स लिमिटेड नाम की कंपनी की सब्सिडियरी है। बड़ा आक्रामक अंदाज है आइनॉक्स के काम करने का। करीब डेढ़ साल पहले ही उसने अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी फेम इंडिया की 43.28 फीसदी इक्विटी खरीदी है। यह इक्विटी उसने यूं समझिए कि अनिल अंबानी समूह के मुंह से छीनी थी, जिस पर खूब पंगा भी हुआ था। समूह की एक और लिस्टेड कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स है। आइनॉक्स लीज़र की कुल इक्विटी 61.54 करोड़ रुपए है। इसका 33.53 फीसदी पब्लिक के पास और बाकी 66.47 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। प्रवर्तकों के हिस्से में 65.62 फीसदी इक्विटी गुजरात फ्लूरोकेमिकल्स और 0.85 फीसदी आइनॉक्स लीजिंग एंड फाइनेंस के पास है। पब्लिक के हिस्से में से एफआईआई के पास कुछ नहीं, जबकि डीआईआई के पास 0.13 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 45,134 है। इसमें से तीन बड़े शेयरधारकों – रिलांयस कैपिटल (4.20 फीसदी), विवेक कुमार जैन (1.05 फीसदी) और पवन कुमार जैन (1.05 फीसदी) के पास कंपनी के कुल 6.30 फीसदी शेयर हैं। नोट करने की बात यह है कि पवन कुमार जैन और विवेक कुमार जैन आइनॉक्स के निदेशक बोर्ड के सदस्य हैं।
Saturday, June 25, 2011
पी नोट्स फिर रंगत में, पीछे कौन काला धन या पुराने खिलाड़ी
ग्रीस की खराब आर्थिक हालात के कारण पूरा यूरोप चिंतित है। भारत में महंगाई की स्थिति सोचनीय है। इस हालात में बदनाम पी नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स ) के जरिए भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर निवेश शुरू हो गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के कुल निवेश में पी नोट्स की हिस्सेदारी मई महीने में 19.5 फीसदी तक पहुंच चुकी थी।
सेबी के मुताबिक अप्रैल में यह आंकड़ा 15 फीसदी ही था। हालांकि यह आंकड़ा जनवरी 2008 के मुकाबले कम है। जब भारतीय शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। दो दिन में बाजार लगभग 4000 अंकों तक गिर गया था। पी नोट्स के जरिए मई में निवेश 211199 करोड़ था। मई 2008 के बाद से यह अब तक की सबसे खतरनाक स्थिति है। उस समय यह आंकड़ा 2349933 करोड़ था। फरवरी 2009 में जब शेयर बाजार जमीन पर आ गया था, तब यह घट कर 60948 करोड़ रह गया था।
Wednesday, August 4, 2010
अतुल में निवेश करें।
1947 में आजाद हुआ देश और 1947 में ही बनी अतुल लिमिटेड। यह अरविंद मिल्स के लालभाई समूह की कंपनी है। इसके छह बिजनेस डिवीजन हैं – एग्रो केमिकल, एरोमैटिक्स, बल्क केमिकल व इंटरमीडिएट, रंग, फार्मा संबंधी उत्पाद व पॉलिमर और सभी स्वतंत्र रूप से धंधा बढ़ाने में लगे रहते हैं। कंपनी के 36,000 से ज्यादा शेयरधारक हैं। उसके दफ्तर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन व वियतनाम तक में हैं जहां से वह अपने विदेशी ग्राहकों की जरूरतें पूरी करती है। कंपनी लगातार अच्छा काम कर रही है और बराबर लाभांश भी दे रही हैं।
उसके शेयर का अंकित मूल्य दस रुपए है और वह बीएसई (कोड-500027) और एनएसई (कोड-ATUL) दोनों में लिस्टेड है। मंगलवार को उसका शेयर थोड़ी सी बढ़त लेकर एनएसई में 109.50 और बीएसई में 109.70 रुपए पर बंद हुआ है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 1190 करोड़ रुपए के धंधे पर 57 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 19.22 रुपए है, जबकि प्रति शेयर बुक वैल्यू 125.97 रुपए है। यानी, जहां शेयर 5.71 के मामूली पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, वहीं उसका भाव बुक वैल्यू से भी कम चल रहा है। वैसे, उसने इसी 26 जुलाई को 121.20 रुपए का उच्चतम स्तर हासिल किया है, जबकि उसका 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 62.20 रुपए (12 अगस्त 2009) रहा है।
वित्तीय रूप से मजबूत कंपनी की भावी दशा-दिशा भी दुरुस्त दिखती है। करीब दो महीने पहले जून में उसके पॉलिमर डिवीजन ने पॉलिग्रिप ब्रांड का अधिग्रहण किया है। कंपनी के पास अहमदाबाद में अपनी 1400 एकड़ जमीन है। वह कॉरपोरेट गर्वनेंस के मामले में भी पक्की है। कंपनी के चेयरमैन एस एस लालभाई हैं और उसके दस सदस्यों के बोर्ड में सात सदस्य स्वतंत्र निदेशक हैं। इसमें हिंदुस्तान लीवर के पूर्व चेयरमैन एस एम दत्ता का नाम भी शामिल है। कंपनी की 29.66 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी 42.63 फीसदी है। पिछली चार तिमाहियों से वे थोड़ी-थोड़ी करके अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते जा रहे हैं। जाहिरा तौर पर इस शेयर में बढ़ने की गुंजाइश पूरी नजर आती है।
Thursday, July 15, 2010
ठोस बुनियाद पर गरवारे-वॉल रोप्स
गरवारे-वॉल रोप्स पुणे की कंपनी है। 1976 में बनी अच्छी और बाजार की मांग से जुड़ी टेक्सटाइल कंपनी है। कंपनी औद्योगिक इस्तेमाल वाले तरह-तरह के नेट व रोप्स बनाती है। अमेरिकी की फर्म वॉल इंडस्ट्रीज के साथ उसका गठबंधन है। हालांकि कंपनी की 23.71 करोड़ रुपए की इक्विटी में अमेरिकी फर्म का हिस्सा महज 0.02 फीसदी (3505 शेयर) है। भारतीय प्रवर्तक आर बी गरवारे की इक्विटी हिस्सेदारी 46.49 फीसदी है। कंपनी में एफआईआई का निवेश 4.48 फीसदी और डीआईआई (घरेलू निवेशक संस्थाओं) का हिस्सा 8 फीसदी है। बाकी 40.93 फीसदी इक्विटी आम निवेशकों के पास है। एलआईसी के पास कंपनी के 5.74 फीसदी, जीआईसी के पास 2.14 फीसदी और मॉरगन स्टैनली के पास 2.25 फीसदी शेयर हैं। पिछले सप्ताह यह 90 रुपये से ऊपर गया था। एक बार फिर यह 80.00 आस-पास है। कम समय में मुनाफा कमाने का अच्छा मौका हो सकता है।
कंपनी के शेयर की बुक वैल्यू 91.57 रुपए है। कंपनी ने 2009-10 में 453.68 करोड़ रुपए की आय पर 19.38 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ 8.17 रुपए है।
कंपनी बीएसई के बी ग्रुप में शामिल है। शेयरों में ट्रेडिंग बहुत ज्यादा नहीं होती। पिछले दो हफ्ते का औसत 15 हजार रोज का था। पिछले सप्ताह वाल्यूम काफी बढ़ गया था। कंपनी लगातार पांच सालों से लाभांश दे रही है। निवेश के लिहाज से यह शेयर साफ-सुथरा और संभावनामय नजर आता है।
Wednesday, June 30, 2010
मंजिल की ओर जीआईसी हाउसिंग
मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 240 अंक गिरा और एनएसई निफ्टी 77 अंक। लेकिन जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस दोनों ही एक्सचेंजों में पहुंच गया 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर 106.40 रुपए (एनएसई) व 106.45 रुपए (बीएसई) पर। हालांकि बंद हुआ यह क्रमशः 104.15 और 104.10 रुपए पर। बढ़त का यह सिलसिला अभी जारी रहने का अनुमान है। असल में जीआईसी (साधारण बीमा निगम) और चार पांच सहायक कंपनियों – नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ ही आईएफसीआई भी इसके प्रवर्तकों में शामिल है। कंपनी की 53.85 करोड़ रुपए की इक्विटी में इनकी कुल हिस्सेदारी 48.89 फीसदी है। एलआईसी ने भी अलग से इसमें 5.04 फीसदी निवेश कर रखा है, जबकि एफआईआई के पास कंपनी के 6.13 फीसदी शेयर हैं।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 311.11 करोड़ रुपए की आय पर 67.09 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है और उसका ईपीएस (शुद्ध लाभ/कुल शेयरों की संख्या) 12.46 रुपए है। इस आधार पर उसका पी/ई अनुपात महज 8.35 है, जबकि इसी तरह के काम में लगी एचडीएफसी का पी/ई अनुपात 29.37, गृह फाइनेंस का 20.40 और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस का 14.27 है। जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस के शेयर की मौजूदा बुक वैल्यू 71.86 रुपए है यानी यह बुक वैल्यू से 1.45 गुने पर ट्रेड हो रहा है। इसे निवेश के लिहाज से काफी आकर्षक स्तर माना जाता है।
असल में यह कंपनी बाजार में अब अपना सही मूल्य तलाशने की डगर पर चल निकली है। जानकारों के मुताबिक 12 पी/ई भी मानें तो इसके शेयर का बाजार मूल्य 150 रुपए होना चाहिए। इधर इस शेयर में अचानक सक्रियता भी बढ़ी है। कल बीएसई में इसके 8.69 लाख शेयरों में सौदे हुए, जबकि बीते दो हफ्ते का औसत 4 लाख का ही रहा है। इसी तरह कल एनएसई में इसके 13.24 लाख और परसों 12.28 लाख शेयरों में कारोबार हुआ जिसमें से करीब 46 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।
बाकी बाजार की चर्चा-ए-खास यह है कि विश्व की एक प्रमुख ऑटो कंपनी एसएनएल बियरिंग्स में हिस्सेदारी खरीदने वाली है। यह शेयर अगले तीन से छह महीनों में 150 रुपए और एक से दो साल में 350 रुपए तक जा सकता है। गिलैंडर 152.50 रुपए पर है। लेकिन यह 173 से होता हुआ 185 तक जा सकता है। इसके बाद यह दो-तीन सालों में कई गुना छलांग लगाकर 1000 के करीब जा सकता है। वैलिएंट कम्युनिकेशंस, आइडिया और आईएफसीआई में अभी बढ़त की भारी संभावना है।
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